Sunday, March 15, 2020

Manzar Bhopali




हमारे सरफिरे जज्बात कैदी बन नहीं सकते,
हवाओं के लिए क्यों आप जंजीरें बनाते है !!

यक़ीन है मुझको बाजी जितने का, फ़तह मेरी है,
मैं गुलदस्ते बनाता हूँ, वो शमशीरें बनाते है !!



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जुदाई हो के मिलन, हर अदा हमारी है,
तुम्हारा शहर है लेकिन फिजा हमारी है!!

शिकायतें तुम्हारी करें तो किस जुबां से करें,
खुदा बनाया तुम्हें, ये खता हमारी है !!

कहीं जल नहीं सकतें सितमगरों के चराग़,
तमाम शहर में अब के हवा हमारी है !!


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